Saturday 13 January 2018

wealth कैसे बानी।

एक ऐसी दुनिया की कल्पना करो जहा पे कोई सहूलत नही है कोई जरूरत की चीज़ नही है। सारे काम अपने हतो से करना होगा तो क्या होगा । दुनिया की सुरूआत जब इंसान के पास कुछ नही था ऊसी समय मे एक दीप में एक आदमी अपना life मछली पकड़ के कर रहा है। वो रोज़ पानी मे डूबकी लगता और badi मेहनत से सिर्फ एक मछली पकड़ पता क्योंकि पानी मे ज्यादा रहना होगा नही और अपने हाथों से मछ्ली पडकने में काफ़ी वक्त लगता है। एक मछली से सिर्फ उसका पेट भरता था। फिर उसने एक दिन दीमक लगाया कि क्या कोई एसी चीज़ kar सकू की मेरे मछ्ली पकड़ने का दायरा बढ़ जाये। फिर उसने एक दिन लकड़ी को देखी जो सामने से नोकीली थी। उसने एक दिन पूरी मेहनत की और उस लड़की की टहनियों को काट उससे इस्तेमाल करने लायक बनाया जो भले की तरह बन गया । पर भूक के कारण उससे उससे बहूत तकलीफ हुई उस पर उसने वो काल को देखा जहा वो काम वक़्त में भले से काफी मच्छी पकड़ने वाला है। फर दूसरे दिन पानी मे मछली पकड़ने गया इस बार उसका दायर बढ़ गया था और उससे पानी मे सांस रोख के मछली भी नही पकड़ीं थी। इससे वो काम वक्त में 3-4 मछली पकड़ वाया। उसने ज्यादा मछली पकड़ नही पाया लेकिन फर भी उसकी जमाई में 300% का इज़ाफा(growth) हुआ। एक change से उसके सामने कई possiblites पैदा हो गई या तो वो एक दिन काम करके बाकी 2दिन आराम कर सकता है या फर रोज़ काम करके आने बुरे वक्त के लिए बचा सकता है। इससे हमें पता चलता कमाई बढ़ने के लिए तकलीफ और risk लेना पड़ता है। आदमी ने risk लिया एक दिन न खान खाने का पूरा दिन भूखा रहा भाला बने के लिए । इस case में मछ्ली saving है भला कमाने के लिए काम आने वाली समान जिससे capital कहते है capital की कोई resell value नही होती पर ये savings बढ़ा देता है।
     आब येही example  real life आज के जमाने मे देखते है। दो व्यक्ति एक ही company एक ही position में काम करते है। उनकी salary 50000 है उसमे से एक उसका नाम रख देते है शाम वो job लगते ही एक mobile loan पे एक घर और laon में गाड़ी लेट है जिसका पूरा monthly खर्च 40000 होता है और बक्की के 10000 जरूरत के समान के लिए लग जाते है जैसे खाने का सामान कपड़े और बहूत कुछ। अगर कुछ बच जाता है तो वो  पैसे महगे hotels में दोस्तो के साथ खाना खाने में लूट देता है इस चेज़ो मे उसके account में  mounth के आखिर में कुछ नही बचता है। दूसरी तरफ राम जो वो दिप वाले आदमी की story जनता था वो एक छोटा सा अपार्टमेंट किराये पे लिया जो 8000 का rent होता। उसके बाद पब्लिक transport से जाता जिसका किराया monthly 1000 होता उससे भी महगे hotel में खान पसन्द पर उसने 3000 से ज्यादा न ख़र्च करने का  ठान लिया बक्की के 8000 जरूरत के समान में लग जाते थे। इस तरह वो हर महीने 30000 बचा लेता था। लोग राम पे हँसने लगे उसका मज़ाक उढ़ाते थे पार राम को पता था वो क्या कर रहा है। उसने अपने पैसे कुछ शॉप लेने में invest किये उसने उसमे एक  empolyee को रखा सब खर्चे के बाद उसको 5000 बचने लगे उसने वो पैसे इस्तेमाल नही किये बल्कि reinvest कियाऔर ऐसे ही अपनी saving को उसने कई और projects में invest किया जैसे apartment और comerical जगह और बहुत कुछ और कुछ सालों में उसके कमाई इन चीज़ों से monthly 70000 पोछ गई थी। फर कुछ समय के बाद वक्त बदला और जहा शाम और राम काम करते थे वो कमपनी कुछ problem के कारण बन दो गई शाम को ये जान के धका लगा इसीलिए नही की job नही रही बल्कि वो इस situation के लिए तैयार नही था।जब कि राम को कोई फर्क नही पढ़ा क्योंकि already उसके पास 70000 का monthly income था। शाम को बहूत से लोन चुकाने थे पर  उसके पास कोई income नही थी मजबूरी में उसे car और घर बेचना पड़े पर market down होने के वजहसे उसको उतना ही पैसा मिला जितना उससे loan चूकना था।आब शाम के पास  कुछ नही था और उससे कम पैसो में बिना intrest की जगह काम करना पढ़ रहा था।
  ये story बहूत अछि book की summary है जिसका नाम है how economy grow and crashes

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